यूँ लगे है कि खुदाई है मेरे हाथों में
उसकी नाज़ुक सी कलाई है मेरे हाथों में
आज भी है मेरी अंगुली में तेरी अंगूठी
ज़िन्दगी भर की कमाई है मेरे हाथों में
तेरी सूरत ने बनाया है मुसव्विर मुझको
लोग कहते हैं सफाई है मेरे हाथों में
मुझको सैयाद ने सौंपी है कफ़स की चाबी
एक बुलबुल की रिहाई है मेरे हाथों में
क्यूँ न महकें मेरी ग़ज़लें मेरे नगमें हरमन
तेरी खुशबू जो समाई है मेरे हाथों में....