उस तरफ गुजरने के रास्ते नहीं होते,
आज ज़िन्दगी के भी फैंसले नहीं होते|
ये चराग इन रास्ते पर अगर जले नहीं होते,
मंजिलों के रास्ते पर हम चले नहीं होते|
लोग आज कल इतने भी बुरे नहीं होते,
बस तुम्हें सलीके से देखने नहीं होते|
वो हमे नज़र भरकर देखता रहा यूँ ही,
हम भी उठ खड़े होते गर गिरे नही होते|
हम इसी तरह चलते गर गिरे नहीं होते,
ज़िन्दगी तेरे रास्ते भी सजे नहीं होते|
जो गिरे हैं टूटने पर आज भी भटकते हैं,
पेड़ से गिरे पत्ते फिर हरे नहीं होते|
तुमसे कुछ कहूं मेरे हौंसले नहीं होते,
प्यार को जताने के सिलसिले नहीं होते|
रोशनी लुटाते हम भी अगर बुझे नहीं होते,
मुझे में हारने वाले हौंसले नहीं होते....®️