हिंदी में ये उपन्यास दिशा प्रकाशन, दिल्ली से 1982 में छपा।2007 में इसके प्रकाशन के 25 वर्ष पूरे होने पर इसका दूसरा संस्करण आया।2012 में इसे तीसरे संस्करण में प्रस्तुति मिली। फ़िर ये सिंधी भाषा में भी प्रकाशित हुआ, जिसे श्री जगदीश लच्छानी ने अनूदित किया।
कल इसे साहित्य अकादमी पुरस्कार (सिंधी) के लिए चुना गया। हार्दिक बधाई... जगदीश जी को, पाठकों को, और साहित्य अकादमी को।