? *मुसीबत में कोई नहीं* ?
सीता के रखवाले राम थे;
जब हरण हुआ तब कोई नहीं ?
द्रौपदी के पाँच पाण्डव थे;
जब चीर हरा तब कोई नहीं ?
दशरथ के चार दुलारे थे;
जब प्राण तजे तब कोई नहीं?
रावण भी शक्तिशाली थे;
जब लंका जली तब कोई नहीं ?
श्री कृष्ण सुदर्शनधारी थे;
जब तीर लगा तब कोई नही ?
लक्ष्मण भी भारी योद्धा थे;
जब शक्ति लगी तब कोई नहीं ?
शरशैय्या पर पड़े पितामह;
पीड़ा का सांझी कोई नहीं ?
अभिमन्यु राजदुलारे थे;
पर चक्रव्यूह में कोई नहीं?
सच यही है दुनिया वालो;
सँसार में अपना कोई नहीं ?
जो लेख लिखे हमारे कर्मों ने?
उस लेख के आगे कोई नहीं।
*केवल कर्म ही अपना साथ चले*
*फिर इसके आगे कोई नही*।।