सारे मम्मा लोग एक से होते हैं क्या?
सांयकाल पाँच बजे जब रोहन की आँख खुली तो हाथ की सूजन और दर्द लगभग समाप्त हो चुका था। अब रोहन दरवाजा खोलकर बाहर जा सकता था। गुल्लक तोड़ने की समस्या अभी भी हल नहीं हुई थी। मोनू के लिए ये सरल काम था लेकिन उनसे गुल्लक तुड़वाने के लिए तुड़वाने का कारण भी बताना पड़ता। इसलिए अब एक ही तरीका था कि सुधीर से सहायता ली जाए। सुधीर को english सीखनी है और अब वो रोहन का student है। student को अपने सर की हर एक बात माननी होती है। सुधीर को भी माननी पड़ेगी। Yes मिल गया solution तो सुधीर से मिलने चला जाए।
रोहन ने मोनू के पास जाकर पूछा – “आज घूमने कब चलेंगे भैय्या?”
मोनू ने कहा – “आज तुम्हें नहीं ले जाऊँगा। कल गायब हो गये थे। मेरी तो जान ही अटक गयी थी।”
रोहन ने कहा – “लेकिन मुझे चलना है भैय्या। मुझे अपने friend सुधीर से मिलना है।”
मोनू ने चिढ़कर कहा – “एक दिन में बड़े friend बना लिये हैं। कल स्कूल में मिल लेना। मुझे परेशान मत करो।”
लेकिन रोहन कहाँ मानने वाला था। वो मोनू का हाथ पकड़कर जोर–जोर से हिलाकर कहने लगा ‘चलिए न भैय्या’, ‘चलिए न’ कमला से देखकर रहा नहीं गया तो पास आकर कहा – “क्यों परेशान कर रहा है बेचारे को? जाता क्यों नहीं इसके साथ?”
मोनू ने कहा – “मुझसे न सम्भाले जाते छोटे बच्चे। मैं न जा रहा इसके साथ।”
कमला ने कहा – “ऐसे कह रहे हो, जैसे दूध पीता बच्चा हो। तेरे साथ केवल जाने की ही तो कह रहा है, बाकि खेलता रहेगा सुधीर के साथ।”
मोनू ने खिसियाकर कहा – “तो मैं भी न जा रहा। घर में ही पड़ा रहूँगा।”
कमला ने क्रोध में कहा – “ठीक है मत जा। रात को खाने में केवल भिंडी बनाऊँगी।”
मोनू ने कहा – “ये अच्छी जबरदस्ती है जो ये कहेगा वो मनवाकर ही रहोगी।”
कमला ने हँसकर कहा – “मैं कहाँ कह रही हूँ रोहन को ले जाने को। बस तू भिंडी खाना शुरू कर दे।”
मोनू ने कहा – “पूरे मोहल्ले के बच्चों को ले जा रहा हूँ अपने संग। लेकिन ये भिंडी मत बनइयो।.... चल छटंकी।”
माँ को सब पता होता है कि बच्चे को क्या पसन्द है क्या नहीं और जब उन्हें कोई काम करवाना होता है तो ऐसे ही ब्रह्मास्त्र चलाती हैं। रोहन की मम्मा भी ऐसा ही करती हैं। सारे मम्मा लोग एक से होते हैं क्या?
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