मकान मालकीन की छोटी लड़की ने क महाशय से पुछा– “अगर शार्क आदमी होते तो क्या छोटी मछलियों के साथ उनका व्यवहार सभ्य-शालीन होता?” उन्होंने कहा- “निश्चय ही, अगर शार्क आदमी होते तो वे छोटी मछलियों के लिए समुद्र में विशाल बक्से बनवाते, जिसके भीतर हर तरह के भोजन होते, तरकारी और मांस दोनों ही। वे इस बात का ध्यान रखते कि बक्सों में साफ पानी रहे और आम तौर पर वे हर तरह की स्वच्छता का इंतजाम करते। उदाहरण के लिए अगर किसी छोटी मछली का पंख चोटिल हो जाता तो तुरन्त उसकी पट्टी की जाती, ताकि वह मर न जाये और समय से पहले वह शार्क के लिए गायब न हो जाये। छोटी मछलियाँ उदास न हों इसलिए समय-समय पर विराट जल महोत्सव होता, क्योंकि प्रसन्नचित्त मछलियाँ उदास मछलियों से ज्यादा स्वादिष्ट होती हैं। निश्चय ही, बड़े बक्सों में स्कूल भी होते। उन स्कूलों में छोटी मछलियाँ यह सिखतीं कि शार्क के जबड़ों में कैसे तैरा जाता है। छोटी मछलियों के लिए प्रमुख विषय निश्चय ही नैतिक शिक्षा होता। उनको सिखाया जाता की दुनिया में यह सबसे अच्छी और बेहद सुन्दर बात होगी अगर कोई छोटी मछली ख़ुशी-ख़ुशी अपने को कुर्बान करे और यह कि उन सबको शार्कों पर भरोसा रखना होगा, खासकर तब जब वे कहें कि वे उनके लिए सुन्दर भविष्य मुहैया कर रहे हैं। छोटी मछलियों को पढ़ाया जाता कि यह भविष्य तभी सुनिश्चित होगा जब वे आज्ञाकारी बनना सीख जायेंअगर शार्क आदमी होते तो निश्चय ही वे एक दूसरे के खिलाफ युद्ध छेड़ते, ताकि दूसरे मछली बक्सों और दूसरी छोटी मछलियों को जीत सकें। युद्ध उनकी अपनी छोटी मछलियों द्वारा लड़ा जाता। वे अपनी छोटी मछलियों को सिखाते कि उनमें और दूसरे शार्कों की छोटी मछलियों के बीच भरी अन्तर है। एक धर्म भी होता अगर शार्क आदमी होते। वह उपदेश देता कि छोटी मछली वास्तव में केवल शार्कों के उदर में ही समुचित रूप से जीना शुरू करती हैं। इसके आलावा, अगर शार्क आदमी होते तो सभी छोटी मछलियों की बराबरी का दर्जा ख़त्म हो जाता, जैसा कि आजकल है। कुछ को महत्वपूर्ण पद दिये जाते और उनको बाकी सब से ऊँचा स्थान दिया जाता। जो थोड़ी बड़ी होतीं उन्हें अपने से छोटी मछलियों को खाने की भी इजाजत होती। शार्कों की इस बात पर पूरी सहमति होती क्योंकि उनको भी तो समय-समय पर थोडा बड़ा निवाला खाने को मिलता। और हाँ, जो छोटी मछलियाँ थोड़े बड़े आकर की होतीं वे अपने पदों पर काबिज होकर बाकी छोटी मछलियों के बीच व्यवस्था कायम करतीं। वे शिक्षक, अफसर, बक्सा निर्माण इंजीनियर इत्यादि हो जातीं। थोड़े शब्दों में, अगर शार्क आदमी होते तो पहली बार वे समुद्र के भीतर संस्कृति ले आते।
(अनुवाद — दिगम्बर)