Hindi Quote in Story by Pranjal Saxena

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टिं टिं टिं टिं....टिं टिं टिं टिं....टिं टिं टिं टिं......ऊँह....टिं टिं टिं टिं...टिं टिं टिं टिं.....हुँह.....टिं टिं टिं टिं.....ढप्पा। वो छुट्टी का दिन था जब अलार्म टिं टिं टिं टिं करके रोहन को उठा रहा था। आज स्कूल नहीं था फिर भी अलार्म बज रहा था। न बिस्तर से उठकर सीधे पॉटी करने जाना था। न जल्दी–जल्दी ब्रश करना था न ही भागते हुए नाश्ता करना था। न ही सुबह साढ़े छह की स्कूल बस पकड़नी थी। फिर भी अलार्म की टिं टिं टिं टिं नहीं मानी और रोहन का आइसक्रीम प्लेनेट वाला सपना तोड़ दिया था। रोहन स्ट्रॉबेरी वाली आइसक्रीम की नदी में नहाकर निकला था और चॉकलेट वाले माउंटेन पर जा ही रहा था कि इस टिं टिं टिं टिं ने जगा दिया था। रोहन का मन ही नहीं कर रहा था जगने का लेकिन अलार्म कहाँ माना। ये टिं टिं टिं टिं चिढ़न उत्पन्न कर रही थी। इसलिए कभी ऊँह तो कभी हुँह कर रहा था लेकिन ये बेरहम अलार्म कभी सुनता है किसी की। सबको उसी की सुननी पड़ती है। जब तक ढप्पा मारकर उसे बंद न करो। अलार्म बंद कर दिया गया था अब नींद का कोई दुश्मन नहीं बचा था। रोहन को फिर चॉकलेट वाले माउंटेन पर जाना था। उसने आँखें बंद की और वापिस सपने में लौटने की कोशिश करने लगा। लेकिन माउंटेन पर नहीं जा पा रहा था। जाता भी कैसे चॉकलेट माउंटेन पर जाने को पहले सपना तो आये और सपना भी तो तब आये जब नींद आये। दस मिनट बीत गये, नींद नहीं आयी। उसने बंद आँखों पर और जोर लगाया। ऊपर की पलकें नीचे की पलकों में ऐसे घुसी जा रही थीं जैसे नागराज के शरीर में सौडांगी घुस जाती है। पलकों का यूँ एक–दूसरे पर चढ़ जाना भी कोई कारगर युक्ति न रही क्योंकि जोर लगाने से आँखों की पुतली में दर्द होने लगा। रोहन को अनमने होकर आँखें खोलनी पड़ीं। उसने अपनी कोमल ऊँगलियों से गुम्मा बनाकर बेड के गद्दे पर मारा। इससे न तो गद्दे को कोई अंतर पड़ा न ही ऊँगलियों को कोई चोट लगी। हाँ लेकिन रोहन की खीझ थोड़ी कम हुई। वो चादर हटाकर बैठ गया और कुछ देर अलार्म घड़ी को घूरता रहा। मन तो कर रहा था कि इसे उठाकर फेंक दें लेकिन क्या करे ये घड़ी उसकी बुआ ने गिफ्ट करी थी और इससे भी महत्त्वपूर्ण बात ये थी कि उसके डायल पर छोटा भीम बना था। इसलिए घड़ी फेंकने की योजना निरस्त करके वो बिस्तर से उतरकर सीधा ड्राइंग रूम में गया जहाँ उसके पापा समाचार–पत्र पढ़ रहे थे और माँ शोकेस में रखे उपहारों की धूल पोंछ रही थीं।यदि आपको उपरोक्त पुस्तक अंश अच्छा लगा है तो निसंदेह पूरी पुस्तक भी अच्छी लगेगी।किंडल पर पूरी पुस्तक पढ़ने के लिये क्लिक करें-https://amzn.to/2Kmq84Sयदि आप व्हाट्सएप्प और फेसबुक चलाते हैं तो आपके लिए बिल्कुल भी कठिन नहीं है किंडल पर ईबुक पढ़ना।किंडल पर ईबुक डाउनलोड करने की प्रक्रिया जानने के लिए क्लिक करें-https://kachchipoi.blogspot.com/2018/11/blog-post.html

Hindi Story by Pranjal Saxena : 111076177
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