शब्दभेदी बाण
एक बार दरबार में अक़बर ने दरबारियों से कहा-आज मैं सभी से दस सवाल पूछूंगा,लेकिन शर्त ये है कि जो भी इनका उत्तर देना चाहे उसे कुल मिला कर बस एक ही शब्द बोलने की इजाज़त होगी और उसी में सभी प्रश्नों का उत्तर होना चाहिए।
दरबारियों के सिर पर चिंता के बादल मंडराने लगे,किन्तु फिर भी वे सब सांस रोक कर सुनने लगे।
बादशाह ने कहा- ऐसा कौन है जो सब कुछ कर सकता है?
-ऐसा कौन है जिससे कुछ नहीं होता?
-ऐसा कौन है जिसे सब पसंद करते हैं?
-ऐसा कौन है जिसकी सब आलोचना करते हैं?
- ऐसा कौन है जो सबसे गरीब है?
-ऐसा कौन है जिसके पास बेशुमार धन है?
-ऐसा कौन है जो बहुत तेज़ी से चढ़ता है?
-ऐसा कौन है जो तेज़ी से उतर जाता है?
-ऐसा कौन है जो सबको रोटी देता है?
-ऐसा कौन है जो खुद रोटी खाने के पैसे सबसे लेता है?
सब सिर खुजाने लगे।सबको लगा,ये आज बादशाह को क्या हो गया है भला इतने सारे बेतुके सवालों का जवाब कोई एक शब्द में कैसे दे सकता है।
बादशाह ने सबको चुप देख कर बीरबल से कहा- क्यों बीरबल,तुम भी निरुत्तर हो गए?
बीरबल ने कहा- हुज़ूर,जवाब तो मैं ज़रूर दूंगा पर इसके लिए कुछ दिनों की मोहलत चाहिए।
- बोलो, कितने दिनों की? बादशाह ने कहा।
बीरबल बोला- बस हुज़ूर,आचार संहिता खत्म होने तक की!
बादशाह ने कहा - मोहलत तो हम दे देंगे,लेकिन याद रखो, यदि तुम्हारे जवाब से हम खुश नहीं हुए तो कड़ी सज़ा मिलेगी।
वेताल ने ये कहानी सुना कर विक्रमादित्य से कहा- राजन, आख़िर बीरबल इस बेतुकी पहेली का राजा को क्या जवाब देगा? यदि इस प्रश्न का उत्तर तुमने जानते हुए भी नहीं दिया तो तुम्हारा सिर टुकड़े टुकड़े हो जाएगा।
विक्रमादित्य ने कहा- बीरबल दूरदर्शी है, उसने आचार संहिता खत्म होने तक की मोहलत तो मांग ही ली है,उसके बाद नए चुनाव होने से अगर बादशाह हार गया तो दरबार से बाहर हो जाएगा,और यदि जीत गया तो कामकाज में इतना व्यस्त हो जाएगा कि उसे सवाल जवाब का समय ही नहीं मिलेगा।
विक्रमादित्य का मौन भंग होते ही वेताल जंगल में अन्तरध्यान हो गया।