एक कल्पना मात्र...
आज आई थी @पगली हम से मिलने.. उन्होंने पूछा कैसे हो आप..? हमने कहा हम ठीक हैं.. फिर हमने पूछा कि आप कैसी हो..? उन्होंने बताया कि हम भी ठीक है..
थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुई.. और उन्होने पूछा की सच बताओ आप खुश तो है ना मेरे बीना.? हम सिर्फ खामोश रहे.. क्योंकि हमारे पास इस सवाल का कोई जवाब जो ना था..
खामोश रहे हम.. और फिर हमने उनसे पूछा कि.. आखिर क्यों..? इतने दिनो बाद आपके मन में यह सवाल आया.. फिर क्या था फिर वह खामोश रही.. क्योंकि शायद आज उनके पास भी मेरे इस सवाल का कोई जवाब ना था..
फिर धीरे-धीरे हम उनके करीब गए और उनका दाहिना हाथ पकड़कर हमने उनके दिल पर रखा और पूछा कि जरा गौर से सुनिए अपनी धड़कनों को और बतलाइए हमें कि कौन धड़कता है वहां..? वह फिरसे खामोश रही.. पर कम्बख्त उनकी आँखें.. उनकी आँखें इह बार थोड़ी सी नम हो गई..
फिर हमने उनके सवाल का जवाब कुछ इस कदर दिया.. कि जिस तरह हम आपकी धड़कनो में बसते हैं.. उसी तरह आप भी हमारी धड़कनो में बसती हों @पगली..
@अभी