मतले का शेर किसी अनजान शायर का है उसमें थोड़ा बदलाव किया हूँ
चमक चाँद की नहीं मेरे दिलदार की है,
खबर ये आसमान के अखबार की है,
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवाँ चले,
बात गुरूर की नहीं ऐतबार की है,
आसमान में है चाँद और सितारें,
बात तो कुछ नहीं मेरे किरदार की है,
लोग इंसान को आसमान बिठा देते,
ये कदर उसकी नहीं अदाकार की है,
"पागल" की कलम में एक अजब नशा है,
बात सुरुर की नहीं कलमकार की है।
"पागल"