लोग न हिन्दू है न मुसलमान है,
इंसान में आज कहाँ ईमान है,
आज का इंसान इंसान कहाँ है,
जहाँ देखो वहाँ सब बईमान है,
कहाँ किसीको किसीकी परवाह,
यहाँ सब को खुद पर अभिमान है,
मोह माया मैं फस गया इंसान,
न कही पूजा न कही आज़ान है,
"पागल" ज़िन्दगी खुली किताब है,
मेरी किताब न गीता है न कुरान है।
✍?"पागल"✍?