हमारी ज़िन्दगी एक शज़र सी है,
शज़र भी पतझड़ में अब्तर सी है,
दिन तो तड़कती धूप का साया है,
हसीन रात ख़ौफ़नाक मंजर सी है,
तकदीर का खेल बहोत निराला है,
हमारी किस्मत ही खंडहर सी है,
प्यार तो कुदरत का करिश्मा है,
मेरी प्यार की जमीन बंजर सी है,
तारीफ के पुल बनाना आता नही,
"पागल" की कलम खंजर सी है।
✍?"पागल"✍?
अब्तर - बिखरी हुई