Hindi Quote in Story by Prabodh Kumar Govil

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अच्छे दिन (लघुकथा)
एक बार घूमते हुए एक संत किसी गांव में आ पहुंचे। लोगों ने थोड़ी आवभगत की और वे प्रसन्न हो गए। थे तो इंसान ही,पर कुछ सिद्धियां भी थीं, उन्हीं के बल पर लोगों से बोले- कुछ मांगना है तो मांग लो,कोशिश करूंगा कि तुम्हें मिल जाए।
उत्साही युवकों ने तत्काल कहा- ऐसा कुछ कीजिए कि अच्छे दिन आ जाएं।
संत एकाएक गंभीर हो गए और बोले- नहीं आयेंगे।
युवक अवाक रह गए, बोले - क्यों श्रीमान?
संत ने कहा, अच्छा पहले ये बताओ कि अच्छे दिन तुम किसे मानोगे?
युवकों ने कहा- सबको रोज़गार,रोटी कपड़ा मकान शिक्षा मिले। कोई बीमार न हो,अपराध न हों, लड़ाई झगड़ा न हो,व्यापार में भरपूर मुनाफा मिले,गंदगी न हो,सबका मनोरंजन हो।भ्रष्टाचार न हो, रिश्वत खोरी न हो, आदि आदि।
संत बोले- आपको रोटी,कपड़ा,मकान देने में आपके माता पिता के अच्छे दिन खो जाएंगे। सबको रोजगार देने में सरकार के अच्छे दिन गुम जाएंगे। कोई बीमार न हुआ तो डाक्टर वैद्य दवा वालों के अच्छे दिन कहां से लाओगे? अपराध घटे तो वकील न्यायाधीश अच्छे दिन को तरसेंगे,अच्छी शिक्षा देने में अध्यापकों के अच्छे दिन बलि चढ़ जाएंगे। महंगाई घटी तो व्यापारियों को कम मिलेगा,किसान की खुशहाली के लिए कर्ज माफ़ हुए तो बैंकों के अच्छे दिन खत्म समझो।
युवक बोले- तो क्या अच्छे दिन कभी नहीं आयेंगे।
संत ने कहा- जिस दिन तुम देश और समाज से जो चाहते हो, उससे ज़्यादा उसे देने की सोच रखोगे,उस दिन शायद अच्छे दिन भी आ जाएं।

Hindi Story by Prabodh Kumar Govil : 111065630
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