"पथराव"(लघुकथा)
एक नन्हे से पिल्ले ने, जिसने अभी कुछ महीने पहले ही दुनिया देखी थी,अपनी मां से जाकर कहा-"लोग पत्थर फ़ेंक रहे हैं।"
कुतिया क्रोध से तमतमा गई। बोली- उन्हें मेरे सामने आने दे, तेज़ दांतों से काट कर पैर चीर कर रख दूंगी। तू वहां मत जा, यहीं खेल। वो होते ही शरारती हैं।
पिल्ला अचंभे से बोला- ओह मां,तुम कैसे सोचती हो? मैं तो गली के नुक्कड़ पर घूमने गया था। वहां मज़दूर लड़के ट्रक से पत्थर खाली कर रहे हैं। मैं तो खड़ा खड़ा उनका पसीना देख रहा था। वो पत्थर उठा उठा कर नीचे सड़क पर फ़ेंक रहे हैं,अब हमारी सड़क भी पक्की बन जाएगी।
कुतिया ने इधर उधर देखा और झुक कर पैर से कान खुजाने लगी।