ड्राइंग का ऑन द स्पॉट कॉम्पिटिशन हो रहा था। आयोजक कला के साथ साथ संगीत के भी प्रेमी थे। उन्होंने भाग लेने वाले युवाओं से कहा कि आपको एक मुखाकृति का चित्र बनाना है, किन्तु इसके लिए हम आपको विषय देंगे। वे बोले, हम आपको एक सुंदर गीत सुनाएंगे, उसके वर्णन को सुन कर आपको चित्र बनाना है। सभी काग़ज़ लेकर तैयार हो गए।
तभी फिल्मी गीत बजाया गया- "सौ बार बना कर मालिक ने सौ बार मिटाया होगा, ये हुस्न ए मुजस्सिम तब तेरा इस रंग पे आया होगा" पंक्तियां दो चार बार बजा दी गईं।
सब फटाफट चित्र बनाने में जुट गए। सबने अपनी अपनी कल्पना से एक से एक खूबसूरत चेहरे बनाने की कोशिश की।
आख़िर प्रतियोगिता का परिणाम आया। प्रथम पुरस्कार उस युवक को मिला, जिसने अपना काग़ज़ केवल नाम लिख कर खाली छोड़ दिया था।
शेष सभी प्रतियोगी चकित थे। शायद वे ये बात नहीं सोच पाए कि प्रतियोगिता में केवल चित्रकला और संगीत ही नहीं, बल्कि उनके गणित के ज्ञान की भी परख की गई थी। वे कल्पना नहीं कर सके कि सौ बार बनाने और सौ बार मिटाने के बाद क्या बचेगा !