कभी इक दौर में, मैं तेरा सबकुच था
जब शुरू हुआ था हममे कुछ कुछ था
जिन्दा रहे तो अल्फ़ाज़ याद भी रखना
मुर्दा हुए तो वसीहत मैं क्या कुछ था ?
हक़ हैं की ठुकराओ तूम लाख मुहोब्बत
मुहोब्बत है हक़ मैं मेरे और कहा कुछ था
आइना बदल दिया जो सच बोलता था
पुराने मैं भी सब वही है जो नए मैं कुछ था
दिल है फरियाद है और समाज कुछ भी
मैं तेरा कुछ था तू तो मेरा सबकुच था
हिमांशु