एक मासूम सा लड़का....
एक मालुम सा लड़का जो
मेरे दिल की गलीयों मे रहता था.....
मेरे साथ बच्चों की। तरह बात कर रहा था
एक मासूम सा लड़का.......
उसकी नजर भी बहुत कातिल थी,
उसकी कातिल नज़र का मुझे ,
शिकार बना गया ,
एक मासूम सा लड़का......
पर मेरे दिल को खुद की आदत
लगा के गया एक मासूम सा लड़का......
वो मुझसे कहता था की
मुझे भी किसी से प्यार करना है....
वो कैसे कीसीको
अपनी मीठी बातो मे फसाते है,
उसके खयालो मे रात दिन डुबा रहता था
एक मासूम सा लड़का........
पगली पगली सी नादानियां,
से मेरे दिल को खुश कर देता था.
एक मासूम सा लड़का.......
न कोइ जान पहचान न
कोइ न कोइ लगाव
मुझे उसकी आदत का लगाव
छोड के गया
एक मासूम सा लड़का.......
न जाने वो मेरे दिल मे छा गया
न जाने उसके एक मेसेज के लिए ,
मेरा दिल क्यों बेचेन सा हो जाता है....
मेरे दिल को भी मुझसे छीनके ले गया
एक मासूम सा लड़का.........
अब वो मेरी जरुरत बन गया था,
उसने मुझे मेरी जिंदगी मे खालीपन था
वो जो भर दिया था।
अौर वो हर बार उसका वही बच्चे जेसी मासुमियत जो मुझे दिवानगी का
झुनुन चडा गइ थी...
उसकी आदत लगा के गया मुझे.....
एक मासूम सा लड़का......
मे उसकी नादानी की राह देखती रही,
जी करता है की उसको सुनती रहु.
कुछ एसा करु की वो
बच्चे जेसी हरकत करता रहे,
एकसमय वो अंजान सा था
पर कब मेरे दिलपे हुकूमत जमा ली....
सब को छोड अब मुझे
उसीकी ही जरुरत हो गई.....
उसका साथ अब मेरी कविता
और शायरी बनके
किताबों मे रह गया था.....
मुझे उसकी याद दे गया
एक मासूम सा लड़का..........
writen by shaimee Prajapati
this poem specially my sweet dost......