मजहब के नाम, बाँट के रखा है
सब ने वोट बैंक, संभाल रखा है
सियासत शर्मसार क्यूँ नहीं होती ?
जिस्म मैं जैसे, पानी उबाल रखा है
बयाँ कैसे करे, नादान सी बेटियां
सरकार ने भीतर ही दलाल रखा है
मुल्क है पूछेगा, बताना भी होगा
कुछ पूछने पर क्यूँ सवाल रखा है
ये शानो शौकत है हमारी वजह से
तुमने हमारा खाक खयाल रखा है
इस बार कोई नया जुमला नहीं
पुराना हर जुमला संभाल रखा है
आप भी इंसान मैंं आते है कया ?
हमने जवाब मैं ही सवाल रखा है
हिमांशु