जिस तरह मीनाकुमारी को ट्रेजेडी क्वीन कहा जाता था, हेमा मालिनी को ड्रीम गर्ल और ऐश्वर्याराय को ब्यूटी क्वीन, उसी तरह साधना फिल्मी दुनिया में मिस्ट्री गर्ल के नाम से जानी जाती थीं। लोग सोचते हैं कि "वो कौन थी", "मेरा साया", "अनीता" जैसी फ़िल्मों में काम करने के कारण उन्हें ये खिताब मिल गया, परंतु ऐसा नहीं है। वास्तविकता कुछ और ही है। वे अपने स्वभाव की विशेषता के चलते रहस्यमयी लगती थीं।
बेहद खूबसूरत होते हुए भी उन्हें अपने सौंदर्य पर ज़रा भी नाज़ नहीं था, उल्टे वे उससे बेपरवाह सी थीं। वे पुरुष सौंदर्य से ज़्यादा प्रभावित होती थीं। उनकी इस पुरुषों को अत्यधिक महत्व देने की हीनभावना के चलते पुरुष उनके साथ काम करने में संदेह से घिर जाते थे। पुरुषों को यह रहस्य लगता था कि इतनी खूबसूरत लड़की हमें इतनी अहमियत क्यों दे रही है? इसी भ्रम में लगातार 15 साल तक फिल्मी दुनिया में बने रहने और उनमें से लगभग 5 साल शिखर पर बने रहने के बावजूद उस दौर के सफल और सक्रिय नायक दिलीप कुमार के साथ कोई फ़िल्म नहीं की। धर्मेन्द्र और राजेश खन्ना के साथ केवल एक एक फिल्म की। शशि कपूर के साथ वे नहीं आईं। जबकि उनकी समकालीन अभिनेत्रियों शर्मिला टैगोर और आशा पारेख ने इन नायकों के साथ कई हिट फ़िल्में दीं। यही बात उन्हें "मिस्ट्री गर्ल" के रूप में विख्यात कर गई।