हर साल रावण को मारना और राम को याद करना इतिहास के प्रति आपकी निष्ठा बताता है, किन्तु थोड़ा विचार इस बात पर भी ज़रूरी है कि रावण ने वर्षों सीता की सहमति की प्रतीक्षा की और उन्हें सम्मान से महल में सुरक्षित रखा। अब हम ऐसे युग में अा गए हैं जहां रावण को न सीता के शील की हिफाज़त की चिंता है और न उसकी जान की। यहां तक की सीता के शरीर पर पहने गहने भी उसकी ललचाई जान लेवा काली नज़र के शिकार हो रहे हैं।
इस रावण को मारने के लिए क्या हम किसी अगले युग का इंतजार करेंगे?