एक माँ की डांट...!
हे खुदा!,
माँ बनाकर, पहले से ही सबकुछ छीन लिया है मेरा
अब क्या, एक माँ से उसकी ममता का हिसाब मांगेगा?
क्या कहुँ? इस बेदर्द ज़माने की बेहयाई का, मेरे वालिद!
जो माँ को सिर्फ़ औरत ही समझा, तू कैसे हिसाब मांगेगा?
(यहाँ 'औरत' से 'स्त्री' मतलब हैं... पत्नी नहीं)
देवांशु पटेल