?जय राजपुताना ?
दस सिर कटतां ढ़ह पडयो, धड़ नह लड़ियो धूत।
सिर इक कटियां रण रचयो, रंग घणा रजपूत।।
अर्थात - दसशीश रावण सिर कटते ही ढह पड़ा। उसका धड़ युद्ध में नहीं लड़ सका। धन्य है वह राजपूत जो एक सिर के कट जाने के बाद भी युद्ध करते रहते है।
✍?..कुमार राणा..शुभरात्रि..जय माताजी