#भाग्य
निज को संतुष्ट ना कीजिए,
कहकर विधि-विधान की बातें,
परिश्रम मन से कीजिए,
चाह़े बीतें, दिन रातें।
जो यत्न सुनियोजित होगा
तो ईश्वर भी साहस देंगे।
भाग्य भी झुक जाएगा,
देखकर कर्म की सौगातें।
आलस्य को तज दीजिए,
छोड़कर भाग्यवादी बातें।
सदा सकरात्मक ही रहिए,
जोड़कर कर्मो से नातें।।
......कविता नागर...