# काव्योसव
माँ
मां तू अपने पास बुला ले
बहुत जल रहा तेरा बेटा
हालातों से हार चुका है
तन्हाई में,कठिनाई से खुद ही खुद को मार चुका है ।
घर मुझको खाने को दौड़े
बिस्तर सूली सा है लगता
मरूभूमि में जैसा प्यासा
पानी के है बिना तरसता
रोजगार ना आये हाथ
भैया भाभी छुड़ाएं हाथ
बहन कभी ना आंसू पोछे
तेरा रूप ना किसी के साथ
दुनिया से फटकार है मिलती
बाबूजी भी झल्लाते हैं
कहते हैं ओ अभागे बिन मां वाले
खोटे सिक्के भी चल जाते हैं
दिन भर मां मैं उड़ता जाऊं
आज़ाद रहूं,ना कोई मलाल
तकिए में मुंह छिपा के रोऊँ
रातों का बस यही है हाल
दुत्कारा मैं हर पल जाऊं
जीवन में मिलती है चोट
तेरा आँचल पास ने मेरे
किस्में छुप कर लूं में ओट
भूख ,प्यास,नींद और सपने
सब मेरे अब हैं बेहाल
अब मैं किस दर पर जाऊं
कौन करे अब मेरा ख्याल
माँ तू अपने पास बुला ले