मुसाफिर कैफे, दिव्य प्रकाश दुबे के काफे में मज़ेदार चाय के साथ पराठे वाली फीलिंग कराने वाली कहानी है।
कहानी शुरू हुई एक लडके और लड़की की मुलाकात से और उनके बीच की बातचीत बहुत दिलचस्प रही। कुश अजनबी इतना दिल खोलके बात करते हैं जैसे वो बहुत करीबी दोस्त हों। समाज के खोखले रीति रिवाजों को सुंदर मज़ाकिया तरिके से पेश किया गया है।
हमारे समाज का सबसे मज़बूत रिश्ता मतलब 'शादी'।
पर क्या हमने इस रिश्ते को करीब से देखा और महसूस किया है या फिर बस इसके बंधक बनकर कभी अधूरी या फिर पूरी ज़िन्दगी जी लेते हैं?
इस कहानी में मेरी कुश पसंदीदा लाइनें
'थोड़ी सी घबराहट ज़रूरी है नहीं तो फिर व