ज्योतिषी सेवा और शुल्क।
पुराने दिनों में ज्योतिष और पुजारी एक हुआ करते थे। पुजारी का भी दक्षिणा पर अधिकार होता था। कुंडली दिखा कर प्रश्न पूछने पर जातक ज्योतिष को दक्षिणा देता था। परन्तु ज्योतिष उस समय पर किसी पीड़ा या दोष के निवारण हेतु दिखाया जाता था। पहले के समय में शादी बचपन में होती थी, पढ़ाई का व्याप इतना ज्यादा नहीं था, और बेटा बाप के काम को ही ज्यादातर आगे बढ़ाता था। खेती,पशुपालन और व्यापार जैसे व्यवसाय के क्षेत्र निश्चित थे। उचित समय पर बच्चे भी हो जाते थे। उस समय व्यापक तरीके से ज्योतिष केवल नामकरण,वर वधू गुण मिलान, मुहूर्त, रोग, आयु, ग्रहों की पीड़ा और दोष के उपाय के रूप में पूजा पाठ करवाने के लिए होता था।
धीरे धीरे ज्योतिषी से शिक्षा,व्यवसाय,नौकरी,पद, व्यापार,विदेश यात्रा, विवाह , बच्चे आदि के बारे में भी पूछा जाने लगा। अब अवैध संबंध और तलाक के बारे में, कोर्ट केस के विजय और पराजय एवं प्रॉपर्टी और वाहन की खरीद बैच और शेयर बाजार, राजनीति आदि विषयों में भी ज्योतिष की सलाह ली जाती है।, ज्योतिष पढ़ने के लिए समय और शुल्क दोनों देना ही पड़ता है, इसी लिए ज्योतिषी और अंकशास्त्र के जानकार को उनके समय और ज्ञान का मूल्य देना ही चाहिए।
बदलते समय के अनुसार नए प्रश्न और उत्तर ज्योतिष देने के लिए सक्षम हो और निरंतर अभ्यास इव संशोधन में सफल हो इसके लिए पैसा एक महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा। ज्योतिष से आज हम देश ,काल और परिस्थिति को ध्यान में रख कर बहुत सारे नवीन प्रश्नों का उत्तर दे पा रहे है, जैसे कोई बच्चा टेस्ट ट्यूब से पैदा होगा या नहीं, बच्चा आगे जा कर कौनसे क्षेत्र में नाम कमाएगा? अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए ज्योतिष के रिपोर्ट बनाए जाते है, जिसमें पैसा खर्च होता ही है, इस क्षेत्र में अब सेवा करने वाली कंपनिया आपने ज्योतिषी को एक एक मिनिट का पैसा देती है।
आज कल ज्योतिष एक आय का साधन बना हुआ है। यूट्यूब,इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम पर इसका व्याप बढ़ा है।विश्व के किसी भी व्यक्ति के साथ अब ज्योतिष अपने ज्ञान को साझा कर सकता है, इस सेवा का शुल्क देने से ज्योतिषी और उसके समय का आप सम्मान करते है, और ज्योतिषी की सलाह को गांभीर्य से सुनते है।