*"मोहब्बत की खामोशी"*
मोहब्बत वो लफ्ज़ है, जो कहने से नहीं आती,
ये तो आँखों से बहती है, आवाज़ नहीं बन पाती।
कोई नाम नहीं होता, कोई पहचान नहीं होती,
पर जब होती है, तो हर सांस उसकी दीवानी होती।
वो छू भी ना पाए, फिर भी दिल धड़कता है,
दूर रहकर भी उसका एहसास महकता है।
न शिकवा होता है, न कोई शिकायत,
मोहब्बत बस चाहती है... सिर्फ़ रज़ा और मोहब्बत।
वो पहली नज़र, वो हल्की सी मुस्कान,
बस उतना ही काफी था, दिल को कर दे कुर्बान।