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**“तू मुझसे ख़फ़ा…
मैं तुझसे ख़फ़ा…
ज़रा-सी तकरार को
लोग तमाशा समझकर
ताली बजा-बजा कर ले रहे हैं मज़ा…
उन्हें क्या ख़बर—
हम तो एक पल भी
नहीं रहना चाहते
एक-दूजे से जुदा…
पर वही लोग
जो हमारी नज़दीकियों से जलते थे,
वही हमें तुमसे,
और तुम्हें मुझसे
छीनकर
देना चाह रहे हैं मन की सज़ा…
काश तू समझ लेता—
झगड़ा तो बस हमारा था,
पर दूरियों की दीवार
दुनिया ने खड़ी कर दी।”**
- archana