जब वह नहीं देखता
तो हम देखेंगे,
चहचहाती चिड़िया को पता चलेगा
घास चरते पशुओं को भी मालूम पड़ेगा।
जंगलों को महसूस होगा
तैरती मछलियां जानेंगी,
राह चलते राहगीर बोलेंगे।
लोग जानेंगे, पहिचानेंगे
हमारी सड़क की दशा
स्कूल की दिशा,
शिक्षा का स्वास्थ्य
स्वास्थ्य की दशा,
और भ्रष्टाचार के कार्यालय तक पहुँचेंगे।
लेकिन कहते हैं
वह सब देखता है,
कहते हैं,सोचते हैं
"उसकी लाठी में आवाज नहीं होती।"
लेकिन जब वह नहीं देखता
तो हमें देखना होगा।
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*** महेश रौतेला