बेवफ़ा
तेरी यादों का सहारा न रहा अब मुझको,
तू जो बेवफ़ा निकला, न रहा सब मुझको।
वो कसम खा के भी वादों से मुकर जाते हैं,
दिल के ज़ख़्मों को हँसी में ही छुपा जाते हैं।
जिसे चाहा था खुदा मान के अपनी रूह में,
वो ही चेहरे पे मोहब्बत का नक़ाब लाते हैं।
अब मोहब्बत के सफ़र में कोई भरोसा न रहा,
लोग रिश्तों को भी सौदे की तरह गिनते हैं।
"मौलिक" ने तो चाहा था सदा दिल से वफ़ा,
पर ज़माने में वफ़ा करके भी क्या मिलते हैं?
✍️DB-ARYMOULIK✍️