:
* मेरी हर आह में छुपा है तेरा ही तो ग़म, तेरे बिन अब।
* ये अश्क नहीं, मेरी रूह का लहू है जो बहता है हरदम, तेरे बिन अब।
* वो हँसी कहीं गुम हो गई, अब तो है बस मातम का आलम, तेरे बिन अब।
* ये साँसों का आना भी लगता है फ़िज़ूल, जब नहीं है तू हमदम, तेरे बिन अब।
- saif Ansari