प्यार की मृगतृष्णा
प्यार की मृगतृष्णा, एक सपना अनजाना,
दिल की गहराइयों में, बसा एक अफसाना।
आँखों में चमकती, वो एक झलक प्यारी,
पर हाथों से फिसलती, जैसे रेत की धारा।
हर कदम पर लगता, अब मिल जाएगा,
पर पास आते ही, वो दूर हो जाता।
दिल की धड़कनों में, बसी उसकी तस्वीर,
पर हकीकत में, वो बस एक तसवीर।
चाँदनी रातों में, उसकी यादें जगाती,
पर सुबह होते ही, वो धुंधली हो जाती।
प्यार की मृगतृष्णा, एक अनजानी राह,
जिसे पाने की चाह में, दिल हो जाता तबाह।