एक हास्य व्यंग्य कविता है आस्था आदि पर नहीं पर हा हा हू हू पर)
Serious रहे तो क्यों रहने का भाई लोग..
पार्टी हो या जीवन, अपने को हँसते रहना है,
सीरियस होकर क्या मिलेगा, बस मस्ती में बहना है।
हाहा हूँ हूँ ही ही, यही तो अपना मंत्र है,
दुखों को दूर भगाना, यही तो अपना तंत्र है।
सीरियस लोग तो बस, चिंता में ही घुलते हैं,
हम तो हँसी के फूल, हर पल में ही खिलते हैं।
पार्टी में नाचेंगे, गाएँगे और झूमेंगे,
जीवन की हर मुश्किल को, हँसी में ही झेलेंगे।
तो आओ दोस्तों, हँसी का ये जादू फैलाएँ,
सीरियस होकर क्या मिलेगा, बस मस्ती में जीना सिखाएँ।
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आशा है आपको यह कविता पसंद आई होगी! 😊