रचनाकार - प्रमिला कौशिक (21/4/2022)
रोबोट
* * * *
बुलडोज़र नहीं रोबोट है यह
निर्माता जिसका है मानव।
रिमोट हाथ में उसके ही है
बना दिया उसको है दानव।

निर्माण हेतु बनाया था जो
पर कर रहा विध्वंस है।
नियम कानून ताक पर रख
चलाया जा रहा नृशंस है।

रिमोट का दबाकर बटन
चाहे जिधर मुख मोड़ दो।
भेज कर इस दैत्य को
किसी का भी घर तोड़ दो।

विडंबना कैसी है देखो
दैत्य बन गया गुलाम है।
कठपुतली सा वह घूमता
इशारों पर वो सरेआम है।।
* * *

Hindi Poem by Pramila Kaushik : 111801879
Pramila Kaushik 1 year ago

हार्दिक आभार 🙏🌹🌹🙏

Pramila Kaushik 2 year ago

शेखर जी आपका हृदय-तल से आभार कि आप मेरी प्रत्येक कविता ध्यानपूर्वक पढ़कर सदैव गहन टिप्पणी भी अवश्य देते हैं। वास्तव में कृतज्ञ हूँ आपकी। सस्नेह शुभाशीष 🙏🌷🌷🌷🌷🙏

shekhar kharadi Idriya 2 year ago

बिल्कुल सार्थक प्रस्तुति क्योंकि बुलडोजर नहीं रोबोट है मानव जो सर्जन हार के लिए बनाया था वो विध्वंसक या विनाशकारी बन गया । जैसे वो कैसा था और कैसा बन गया । यह बात अत्यंत गहन, चिंतन शील है ।

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