चलो, अपनी मुलाकातों को गिन लें
उन मुलाकातों को
जो दोस्ती के लिए हुयी हैं,
लम्बी यात्राओं में छुपी हैं
प्यार के नीचे दबी हुयी हैं।
उठा लें कुछ नाम
बता दें सबको रहस्य कि
मनुष्य को मनुष्य से मिलने में
कितनी गहराइयां होती हैं।
किसी स्थान को चुन लें
जहाँ आत्मीयता
फूल सी खिल कर रोयी थी।
गिन लें कुछ नाम
जो मन में दौड़ते-दौड़ते
कँधे में चढ़ जाते हैं।
* महेश रौतेला