"मातृभाषा को ना छोड़े"

मातृभाषा को ना छोड़े, घर में भी बच्चों संग बोले,
खुद पढ़े और बच्चों को भी मातृभाषा में ही पढाएं।

हैं ज़रूरी अंग्रेजी शिक्षा, परंतु मातृभाषा का गला ना दबाएं,
वर्णा क्या होगा हमारा, पढ़ो आगे ये "मित्र" ये समझाए।

मां को हम मॉम और पापा को डेडी से डेड बनाएंगे,
हम भूले सभ्यता संस्कार संस्कृति मातृभाषा अपनी।

माॅम डेड की पाश्चात सभ्यता, बच्चों को हम पढ़ाएंगे,
देख लेना एक दिन, ये रास्ता हमें वृद्धाश्रम का दिखाएंगे।

जो बिज धरती में बोएंगे, वहीं उपज फ़सल के रूप में पाएंगे,
पढ़ाएंगे अंग्रेजी शिक्षा, पाश्चात्य संस्कार बच्चों में आएंगे।

-मनिष कुमार मित्र"

Hindi Poem by मनिष कुमार मित्र
मनिष कुमार मित्र" 3 year ago

शेखर जी तहेदिल से शुक्रिया इस हौसला अफजाई के लिए धन्यवाद 🙏

shekhar kharadi Idriya 3 year ago

अति उत्तम.. एंवम यथार्थ प्रस्तुति

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