हम किसी और मंजिल के मुसफ़िर ठहॆरे..
तेरे साथ उस सफ़र हम चल नही पाऎेंगे ..
कुछ वक़्त कि पाबन्दिया हे कुछ अपनो कि..
तेरी ख्वाशियों मे अब हम पसर नहीं पाएॆंगे..

Bhumi polara

Hindi Shayri by Bhumi Polara : 111627862

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now