कल सपने में इक आई लड़की
हाथ में थी पुस्तक है पकड़ी

हम बोले तुम कौन हो प्यारी
दिखतीं एकदम न्यारी न्यारी?

बोली मुझे नहीं पहचाना?
फिर तुम क्या गाओगे गाना?

चकराने की अब मेरी बारी
क्या कहती ये अबूझ नारी?

देखो पहेली अब न बुझाओ
कौन हो तुम, हमको समझाओ।

अरे पगले मैं हूँ हिंदी
देखते नहीं माथे की बिंदी?

जब मेरा दिवस मनाओगे
क्या कुछ न बतलाओगे।

चिंता में मेरी तुम क्या -
सब चिंतित ही नज़र आओगे।

लेकिन प्यारे-
राजदुलारे-

मैं ज़िंदा हूँ, ज़िंदा ही रहूँगी
राज किया है, राज करूँगी।

रोते-धोते हिंदी दिवस मनाओ न
उत्सव को शोक बनाओ न।

अब आओ पकड़ो हाथ मेरा
वादा करो- न छोड़ोगे साथ मेरा।

-vandana A dubey

Hindi Poem by vandana A dubey : 111569384
Jiya 2 year ago

Kya aap kisi aur platform per bhi apni kahaniyan likhna chahengi

vandana A dubey 4 year ago

धन्यवाद

shekhar kharadi Idriya 4 year ago

अत्यंत सुंदर

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now