लघुकथा
गधा
एक गधा एक खूँटे के चारों ओर गोल-गोल घूम रहा था। एक बैल ने कहा-"यह क्या कर रहे हो?"
गधे ने ज़वाब दिया-"दीखता नहीं !मैं चर रहा हूँ।"
"ठीक है पर खूँटे के चारों ओर क्यों घूम रहे हो? स्वतंत्र होकर चरो। तेरी गर्दन पर रस्सी भी तो नहीं है।"
"रस्सी नहीं है तो क्या हुआ? आखिर पहले तो बँधी रहती थी न! अब मुझे इसकी आदत पड़ गई है।"