ए मेरे खुदा, बस इतनी शिकायत है मेरी!
अगर तु चाहता था, मैं जिंदा ना रहू,
तो मौत दे देता मुझे.....(2)
मुझसे मेरी महोबत क्यों छीन ली?

मुझे पता है, तू मेरे सारे राज़ जानता है!
इसीलिए तो तू मुझे सताता है..
जानता है तू की मैं कुछ नहीं हूं उसके बगैर
इसीलिए तू मुझे, उससे दूर रखता हैं।

तू भी बड़ा जालिम है मेरे खुदा
क्या तरकीब आजमाई है तुने मुझे मारने की
तू जानता है मैं नहीं जी सकता उसके बगैर
इसीलिए तू मुझे, उससे दूर रखता है।

ऐ मेरे खुदा, बस इतनी शिकायत है मेरी
अगर तू चाहता था, मैं जिंदा ना रहूं
तो मौत दे देता मुझे...(2)
मुजसे मेरी महोबत क्यों छीन ली...?
Written by Rj Pravin

Hindi Poem by Rj Pravin : 111496676

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