मिथिला सुकुमारी थी,साकेत की सौभाग्यनी
जनक की दुलारी थी ,प्रभु राम की अर्द्धांगिनी
नारी को सम्मान दिलाने के लिए
अपना स्वाभिमान बचाने के लिए
श्री राम का मान बढ़ाने के लिए
समाज को सत्यता दिखाने के लिए
जो जीती हुई बाजी भी हार जाये
रानी होकर भी बन जाये
शक्ति भी जिससे बल पाये
वो ही शक्तिमान कहलाये