मिलेंगे... मिलेंगे.... फिर मिलेंगे दोस्तों...
बस, ये बीच का आग का दरिया पार कर लेने दो....
फिर पड़ेंगी सावन की रिमझिम....
फिर होगी बूंदों की अठखेलियाँ...
फिर होगी हमारी मस्ती.....
मिलेंगे.... मिलेंगे.... फिर मिलेंगे दोस्तों...
जरा इस दुश्मन को घर बैठे हरा लेने दो...
फिर से होंगी हमारी महफिलें...
फिर से होंगी हमारी किट्टियां....
फिर खिंचवाएंगे हम तस्वीरें....
मिलेंगे.... मिलेंगे.... जल्द ही मिलेंगे दोस्तों....
बस, ये जंग मिलकर जीत लेने दो...
ज़िंदगी को फिर से पटरी पर आने दो....
फिर से होंगी हमारी खिलखिलाहटें...
फिर से होंगी हमारी धमाचौकडियां...

फिर से खाएंगे हम एक दूजे की बनाई
टेस्टी डिशेज....
मिलेंगे.... मिलेंगे.... फिर मिलेंगे दोस्तों....
बस, चंद दिनों की बात है....
अभी ये अंधेरी रात है....
मगर जल्दी ही चाँद मुस्कुराएगा....
चाँदनी गीत गायेगी...
और दिन का सूरज देगा एक नई ऊर्जा....
मिलेंगे.... मिलेंगे.... जल्द ही मिलेंगे दोस्तों.

Hindi Poem by Sangita Behal : 111388926
Devesh Sony 4 year ago

वाह... बेहतरीन रचना... 👌

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