#काव्योत्सव
विषय - हास्य
कविता
एक बार मंत्री बना दो
दो नेता हुए एकत्र
मनाने एक छुट्टी का दिन
दोनों पर लगे हुए थे
घोटालों के आरोप संगीन
पैग बनाते एक ने पूछा
छोटा लोगे या पटियाला
दूसरे ने कहा -
क्या पटियाला क्या राजस्थान
मैं तो लूँगा सारा हिंदुस्तान
यह इच्छा पुरानी पूरी कर दो
बस एक बार मुझे मंत्री बना दो।
प्रगति मैं इतनी कर लूँगा
बना में भी सड़क बना दूँगा
बजट घाटे की तरह
बढ़ रहा है मेरा पेट
अफ़सर भी तो बढ़ा रहे
रोज़ अपना रेट
देश का मैं कल्याण कर दूँगा
रंगे सियारों को वश में कर
पूरा देश ही लूट लूँगा।
हर महापुरुष की जयंती और
पुण्य तिथि पर होगी छुट्टी
जन्म से ही बच्चे पीयेंगे
कामचोरी की घुट्टी।
हाज़मा मेरा दुरुस्त है
फिर भी मिल-बाँट खाऊँगा
चारा, तेल, पानी क्या
तोप, मशीन, ज़मीन भी
गटक जाऊँगा।
सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त होगी
लूट की सबको छूट होगी
चोर पुलिस सब बराबर होंगे
हर लूट में हिस्सेदार होंगे
जो चाहो वो विभाग ले लो
बस एक बार मुझे मंत्री बना दो।
काग़ज़ पर इमारत बनाओ
आसमान में पानी बहाओ
हवाई जहाज़ पाताल में चलेंगे
साईकिल पर भैंस ढुलेंगे
बेरोज़गारी कहीं न होगी
पैदा होते ही सब काम पर लगेंगे
विद्यालयों में ज़ेब कतरने की शिक्षा मिलेगी
सारी जनता को अब भिक्षा मिलेगी
बस एक बार मुझे मंत्री बना दो।
सारे वोट मेरे बैंक में होंगे
मैं तो और ड्राफ़्ट में उन्हें बाँटूँगा
सारे नोट स्वीस बैंक में साटूँगा
न नौकरी , न आरक्षण होगा
बस भक्षण ही भक्षण होगा
चोर बनेंगे पहरेदार बैंकों के
खुदरा में नहीं थोक में लूटेंगे
मर्दों की अस्मत लूटने
युवतियों के दल जुटेंगे।
धरती का सुख और भोग दिला दूँगा
इसे स्वर्ग और सबको स्वर्गवासी बना दूँगा
बस एक बार मंत्री बना दो।
भोला नाथ सिंह