कविता

व्हाट्स-अप डीपी
अर्पण कुमार

मैं उससे प्यार करने लगा हूँ
या इसे यूँ कहना
कुछ ज़्यादा ठीक होगा
कि वह मुझे अच्छी लगने लगी है
मगर उससे यह सब
मैं कह नहीं सकता
हर चीज़ कहना संभव भी नहीं
वक़्त के अलग अलग सिरों पर
खड़े हैं हम
सोचता हूँ
क्या उसे किसी उलझन में
डालना ज़रूरी है!
क्या उससे
अपने दिल का भेद खोले बिना
रहा नहीं जा सकता!
अपनी ही धुन में खोए
किसी गुमनाम संगीतकार सा
मैं सिर्फ़ स्वयं को
अपना संयोजन सुनाता हूँ

उससे बेमतलब के चैट
सप्ताह में दो तीन बार तो
हो ही जाते हैं
बचे दिन बाक़ी
उन संवादों की ख़ुशबू में
हो गिरफ़्तार बीत जाते हैं
क्या समय का यूँ सरसराता
और गुनगुनाता हुआ
निकल जाना
प्यार का कोई हासिल नहीं है
क्या सामनेवाले से
इज़हार कर देना ही सब कुछ है!

आजकल भोर में
यही कोई चार बजे के आसपास
मेरी नींद टूट जाती है
बीच-बीच में
पास की पटरी से
ट्रेन के गुज़रने की आवाज आती है
मन तो बावरा है
कहाँ से कहाँ की सोच लेता है
वह इस ट्रेन में बैठ
मुझसे मिलने आ रही है
आ रही है क्या!
ओह, नहीं आई।
कोई बात नहीं
अगली में आ जाएगी
दिल जाने कब हार मानेगा!
मैं भी यहीं हूँ
पटरियाँ भी यहीं हैं
और देश में
अभी ट्रेन का चलना
कोई बंद थोड़े ही न हुआ है!
भोर के ये बेमतलब
और मीठे से ख़याल
इतना सुकून कैसे देते हैं!
पूछता हूँ अपने आप से
प्यार से भला और क्या चाहिए!
मैं व्हाट्स अप का
उसका डीपी (डिस्पले पिक्चर)
देखता रहता हूँ
आज उसका हेयर स्टाइल
इस तरह का है
तो कल उसने यह कपड़े पहने थे
परसों एक पार्टी में
उसने ख़ूब डांस किया था

अपने मोबाइल पर
उसकी ये तस्वीरें देखते हुए
मुझे कई बार गुमान होता है
वह किसी रैंप पर
कैट-वॉक कर रही है
पूरी स्पॉट लाइट
उस पर आ जमी है
और मैं
हॉल के एक अँधेरे कोने में बैठा
बस उसे निहार रहा हूँ
मेरे अंदर
उजाले का कोई झरना फूट पड़ता है।
............
#KAVYOTSAV -2

Hindi Poem by Arpan Kumar : 111162425
Arpan Kumar 5 year ago

जी, शुक्रिया।

Devyani Singh 5 year ago

बेहतरीन...मूक प्रेम की सुंदर अभिव्यक्ति

Virag Kumar 5 year ago

I must say, majority can relate with this

Vivek Kumar 5 year ago

kya baat hai... Pyar kerne walo ka bhi koi jawab Nahi... Bahut khub... ??

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now