#Kavyotsav

रूत है गुलाबी अलसाया तन
लगे परिंदों का डेरा
चीं चीं चूँ चूँ फुदके कूदे
कोई न इनको टोके....

ठंडी हवाएँ जब जब छेड़े
तन मन सिहरा जाये
धुँआ धुँआ सा लगे गगन भी
मीठी धूप को रोके....

मौसम रंग बहारों का
फूलों के शोख अदाओं का
नरम नरम संदीली महक
उड़े दिल पतंग सा होके....!!

English Poem by S Kumar : 111157609

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now