hindi Best Women Focused Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Women Focused in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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नारी By नन्दलाल सुथार राही

काव्य संग्रह के अंतर्गत यह दूसरा भाग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। जिसमें पहली कविता में एक नारी की मनोदशा और उसके अनुभव का वर्णन है और दूसरी कविता में एक फौजी जो देश की रक्षा कर...

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मोतीबाई--(एक तवायफ़ माँ की कहानी)--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

अब दो साल महुआ को बेटे का मुँह देखे बिना काटने थे लेकिन तब भी उसने तसल्ली रख ली,बेटियाँ हर एक दो महीने में माँ से मिलने आतीं रहतीं,फिर पता चला कि रिमझिम उम्मीद से है इसलिए उसकी देख...

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यस मैडम By अंजु पी केशव अना

"सास की भृकुटी है भाभीजी........ ....जो तनी नहीं तो उसका होना अकारथ हो जाता है .... आप काहे माथा खराब करे हैं अपना.... थोड़ा कभी नीचे, थोड़ा कभी उपर... शान पिरोई रहती है इस...

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तपस्या--एक सुहागन की.... By Saroj Verma

नीरजा ने अपनी सामने वाली पड़ोसन के दरवाजे पर लगी घंटी बजाई..... पड़ोसन ने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी फिर बोली.... अरे! आप अन्दर आइए ना! जी! अभी टाइम नहीं है,फिर कभी आऊँगी,शुभांशी सो...

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सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 3 - अंतिम भाग By निशा शर्मा

तुम्हें सासू माँ से ऐसा नहीं कहना चाहिए था ! आखिर क्या जरूरत थी तुम्हें बोलने की ? वो तो मुझे सुना रही थीं और मैं सुन रही थी फिर तुम क्यों बोले ? "यार रचना तुम भी कमाल करती हो। आज...

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माँ को लिखा एक ख़त By Neelima Sharrma Nivia

माँ!!! तुम्हे तो पता भी नही होगा आज माँ-दिवस हैं .जब सुबह बहुए आकर पैर छू कर कहेगी मम्मी हैप्पी मदर डे तब तुम मुस्स्कुराकर कहोगी तुम को भी ... माँ हमारे ज़माने कहा होता था...

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कैसे लिखूँ उजली कहानी By Ranjana Jaiswal

मुझे माफ करना इला , मैं तुम्हारा साथ न दे सकी । चाहती थी देना ....बहुत….बहुत दूर तक साथ देना पर ... मैंने खुद भी तुम्हें गलत कहा, बुरा व्यवहार किया पर वह इसलिए कि तुम मेरा घर छोड़ द...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 2 By Pooja Singh

"हम आपको सब से मिलवाते है ........पहले इनसे मिलिए ये है हमारे मेयर जी हममे सबसे बहादुर ...पर गांव के दुश्मनो ने इन्हे आज इस हाल में पहुंचा दिया इनका चलना मुश्क़िल हो गया है... " तभ...

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कैसे कैसे दुष्चक्र By Ranjana Jaiswal

मालती देवी इतना तो जानती थीं कि स्त्री के लिए किसी न किसी मर्द का संरक्षण जरूरी होता है ,पर इस संरक्षण की इतनी बड़ी कीमत देनी पड़ती है ,यह वे नहीं जानती थीं |पति की मृत्यु के बाद जब...

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नारी सम्मान By शाश्वत चौबे

अपमान मत करना नारियोंं का, इनके बल पर जग चलता है पुरूष जन्म लेकर तो इन्ही के गोद में पलता है आज हमारा देश गणतंत्र है, देश मे लिखित संविधान भी है, समस्त कार्य संविधान में संग्रहित न...

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों? - 2 - क्या अंत भला तो सब भला ?? By Bushra Hashmi

मैं जब छोटा था तो मैंने कई टेलीविजन प्रोग्राम में कहते सुना था कि अंत भला तो सब भला । कई बार ये ख्याल आता था क्या सच में ऐसा होता है की अंत में सब भला हो जाता है ? ये समझना मेरे लि...

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कार्यालय के शालीन वातावरण निर्माण में महिलाओं की भूमिका By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

विश्व का प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि उसके आसपास का वातावरण सकारात्मक हो। व्यक्ति के आस पास रहने वाले लोग, कार्य करन...

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दादी मां... By Saroj Verma

बहुत दिन हो गए थे स्टोररूम की सफाई किए हुए तो सोचा चलो आज स्टोररूम की सफाई करती हूँ,स्टोररूम साफ करते वक्त एक तस्वीर मिली ,जो मैने हाँल में सजा दी,दोपहर के बाद जब मेरी बेटी सौम्या...

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एक सबक उनके जीवन से By Jyoti Prajapati

"आज लगभग छह साल बाद देखा था मैंने सरिता भाभी को..!! हालत में पहले से काफी अंतर आ गया था !! दुबली तो तब भी थी...लेकिन अब कुछ ज़्यादा ही दुबली नज़र आ रही थी !! उनकी गोद मे एक छोटा सा ब...

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मैं बेकसूर हूँ.... By Saroj Verma

अग्रणी! बेटा!तैयार हो गई...एकाध घंटे में बस बारात दरवाज़े पर पहुँचती ही होगी.... किशनलाल जी ने अपनी भाँजी अग्रणी से कहा..... जी! मामाजी! बस!चूडियाँ पहननी बाकी़ रह गई हैं,मामी जी सार...

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एक रिश्ता ऐसा भी - (अंतिम भाग) By Ashish Dalal

एक रिश्ता ऐसा भी (अंतिम भाग) उत्तरा के बारें में जानकर मयंक और भी व्यथित हो गया । अपने जिस अतीत को पीछे छोड़ अपने जीने की एक अलग ही वजह बना ली थी आज वही अतीत उसके वर्तमान के सामने...

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जिल्लत़.... By Saroj Verma

उपासना.... ओ उपासना.... कहां मर गई? कहा था ना कि पूजा की थाली और लोटा मांजकर रखना लेकिन मैं नहाकर आ भी गई और तूने मेरा काम नहीं किया.... हां... हां..सास का कहा सुन लेगी तो पाप में...

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अभिव्यक्ति - दहलीज के पार By Yatendra Tomar

एक आम भारतीय गृहिणी की तरह रजनी भी अपने घर को पूरी जिम्मेदारी के साथ संभालतीं है हर दिन सुबह सूरज से पहले उठ कर देर रात तक घर के कामों की आपाधापी सी मची रहती है रात होते होते शरीर...

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दुल्हन.... By Saroj Verma

रिमझिम के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे,वो बस में बैठी यही सोच रही थी कि काश आज उसके पास पंख होते तो वो उड़कर अपने ननिहाल पहुंच जाती,सूजी हुई आंखें और बोझिल मन से वो इन्तज़ार कर...

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यह मेरा हक़ है By Kishanlal Sharma

"भाभी ----इरफान हांफता हुआ दौड़ा दौड़ा आया था,"अनवर ज़िंदा है।""कौन अनवर?""अनवर को नही जानती।भूल गई।तुम्हारा पहला शौहर।""भाभी से मजाक कर रहे हो।"सलमा जानती थी उसका देवर इरफान मजाकिया...

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आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 9 By ARUANDHATEE GARG मीठी

स्तुति के आसूं भरे चेहरे पर, सुनीता जी अपने आसुओं से भरी आंखों में प्यार भरकर , उसे प्यार से देखती है और फिर उसे गले से लगा लेती है , और स्तुति ने जो अब तक का धीरज धरा हुआ था , वह...

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आखिर क्यों ? By Sunita Agarwal

पंद्रह लोगों का भरा पूरा परिवार था, जिस घर में सीमा ब्याहकर आई थी।सुबह पांच बजे से चूल्हा जलता तो दिन के दो बजे तक जलता ही रहता और फिर चार बजे से शाम के खाने की तैयारी शुरू हो जाती...

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मुक्ति By Rohit Kishore

भाग 1.) सुहाना सफर दिल्ली की सर्दियों की सुहानी सुबह की बात ही कुछ और है,आपको लेकर चलते है एक मल्टी नेशनल कंपनी Comsoft प्राइवेट लिमिटेड में जिसके CEO है युवा नवजवान “आदित्य महरा ”...

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नारी सशक्तिकरण By Pinku Juni

मेरे कहने से कुछ बदल जाता तो मैं सब कुछ सबसे पहले कहती की, नारी अब वो नहीं रही की जो सब सह लेती थी बिना कुछ कहे। आज नारी की स्थिति पिछली शताब्दी से आज बहुत उच्च है आज वह छोटे से घ...

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लड़की का हक़ By Neelima Sharrma Nivia

क्या कहूँ ?अब तो थक गयी हूँ मैं . जिस घर से ब्याही जाती हैं ना लड़कियाँ वहाँ से डोली उठते ही घर पराया हो जाता हैं । जिस घर पहुँचती हैं डोली वहाँ जाते ही कह दिया जाता हैं अपन...

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आन्या का ससुराल - 4 By Riya Jaiswal

आन्या मांजी के साथ बेटी लेकर हॉस्पिटल से घर आई। उसे और उसकी बच्ची को नहलाकर उनके रहने के लिए अलग कमरे में व्यवस्था कराया गया। डिलीवरी का पहला दिन था मगर मांजी के चेहरे पर आन्या के...

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हौसला By Neelima Kumar

इतिहास में गुज़रे कुछ पल ऐसे होते हैं जिन्हें बिना किसी वज़ह के आप कभी साझा नहीं करना चाहते और मेरे इन पलों को वज़ह दी थी एक प्रतियोगिता ने। इस प्रतियोगिता में एक ऐसे नारी किर...

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नई सुबह By Sunita Agarwal

आज रोहन और उनकी पत्नी रागिनी सुबह से ही बहुत उत्साहित थे।हो भी क्यों न आज पूरे 12 बर्ष बाद उनका पोता रितिक जो घर आने वाला था।रागिनी सुबह से ही रसोईघर में तरह तरह के व्यंजन बनाने मे...

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आराधना... By निशा शर्मा

माँ बुआ आ गईं ! अरे आज तो बिटिया बहुत सयानी लग रही है । हाँ दीदी बिटिया को सयानी होते हुए समय थोड़े ही लगता है ! अरे ! आराधना तुम तो बात-बात पर सीरियस हो जाती हो बस तुम्हारी यही बा...

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नारी By नन्दलाल सुथार राही

काव्य संग्रह के अंतर्गत यह दूसरा भाग आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। जिसमें पहली कविता में एक नारी की मनोदशा और उसके अनुभव का वर्णन है और दूसरी कविता में एक फौजी जो देश की रक्षा कर...

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मोतीबाई--(एक तवायफ़ माँ की कहानी)--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

अब दो साल महुआ को बेटे का मुँह देखे बिना काटने थे लेकिन तब भी उसने तसल्ली रख ली,बेटियाँ हर एक दो महीने में माँ से मिलने आतीं रहतीं,फिर पता चला कि रिमझिम उम्मीद से है इसलिए उसकी देख...

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यस मैडम By अंजु पी केशव अना

"सास की भृकुटी है भाभीजी........ ....जो तनी नहीं तो उसका होना अकारथ हो जाता है .... आप काहे माथा खराब करे हैं अपना.... थोड़ा कभी नीचे, थोड़ा कभी उपर... शान पिरोई रहती है इस...

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तपस्या--एक सुहागन की.... By Saroj Verma

नीरजा ने अपनी सामने वाली पड़ोसन के दरवाजे पर लगी घंटी बजाई..... पड़ोसन ने दरवाज़ा खोला और मुस्कुरा दी फिर बोली.... अरे! आप अन्दर आइए ना! जी! अभी टाइम नहीं है,फिर कभी आऊँगी,शुभांशी सो...

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सास-बहू...एक रिश्ता उलझा सा। - 3 - अंतिम भाग By निशा शर्मा

तुम्हें सासू माँ से ऐसा नहीं कहना चाहिए था ! आखिर क्या जरूरत थी तुम्हें बोलने की ? वो तो मुझे सुना रही थीं और मैं सुन रही थी फिर तुम क्यों बोले ? "यार रचना तुम भी कमाल करती हो। आज...

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माँ को लिखा एक ख़त By Neelima Sharrma Nivia

माँ!!! तुम्हे तो पता भी नही होगा आज माँ-दिवस हैं .जब सुबह बहुए आकर पैर छू कर कहेगी मम्मी हैप्पी मदर डे तब तुम मुस्स्कुराकर कहोगी तुम को भी ... माँ हमारे ज़माने कहा होता था...

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कैसे लिखूँ उजली कहानी By Ranjana Jaiswal

मुझे माफ करना इला , मैं तुम्हारा साथ न दे सकी । चाहती थी देना ....बहुत….बहुत दूर तक साथ देना पर ... मैंने खुद भी तुम्हें गलत कहा, बुरा व्यवहार किया पर वह इसलिए कि तुम मेरा घर छोड़ द...

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वीरा हमारी बहादुर मुखिया - 2 By Pooja Singh

"हम आपको सब से मिलवाते है ........पहले इनसे मिलिए ये है हमारे मेयर जी हममे सबसे बहादुर ...पर गांव के दुश्मनो ने इन्हे आज इस हाल में पहुंचा दिया इनका चलना मुश्क़िल हो गया है... " तभ...

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कैसे कैसे दुष्चक्र By Ranjana Jaiswal

मालती देवी इतना तो जानती थीं कि स्त्री के लिए किसी न किसी मर्द का संरक्षण जरूरी होता है ,पर इस संरक्षण की इतनी बड़ी कीमत देनी पड़ती है ,यह वे नहीं जानती थीं |पति की मृत्यु के बाद जब...

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नारी सम्मान By शाश्वत चौबे

अपमान मत करना नारियोंं का, इनके बल पर जग चलता है पुरूष जन्म लेकर तो इन्ही के गोद में पलता है आज हमारा देश गणतंत्र है, देश मे लिखित संविधान भी है, समस्त कार्य संविधान में संग्रहित न...

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों? - 2 - क्या अंत भला तो सब भला ?? By Bushra Hashmi

मैं जब छोटा था तो मैंने कई टेलीविजन प्रोग्राम में कहते सुना था कि अंत भला तो सब भला । कई बार ये ख्याल आता था क्या सच में ऐसा होता है की अंत में सब भला हो जाता है ? ये समझना मेरे लि...

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कार्यालय के शालीन वातावरण निर्माण में महिलाओं की भूमिका By Dr Mrs Lalit Kishori Sharma

विश्व का प्रत्येक व्यक्ति सुख शांति चाहता है। जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि उसके आसपास का वातावरण सकारात्मक हो। व्यक्ति के आस पास रहने वाले लोग, कार्य करन...

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दादी मां... By Saroj Verma

बहुत दिन हो गए थे स्टोररूम की सफाई किए हुए तो सोचा चलो आज स्टोररूम की सफाई करती हूँ,स्टोररूम साफ करते वक्त एक तस्वीर मिली ,जो मैने हाँल में सजा दी,दोपहर के बाद जब मेरी बेटी सौम्या...

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एक सबक उनके जीवन से By Jyoti Prajapati

"आज लगभग छह साल बाद देखा था मैंने सरिता भाभी को..!! हालत में पहले से काफी अंतर आ गया था !! दुबली तो तब भी थी...लेकिन अब कुछ ज़्यादा ही दुबली नज़र आ रही थी !! उनकी गोद मे एक छोटा सा ब...

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मैं बेकसूर हूँ.... By Saroj Verma

अग्रणी! बेटा!तैयार हो गई...एकाध घंटे में बस बारात दरवाज़े पर पहुँचती ही होगी.... किशनलाल जी ने अपनी भाँजी अग्रणी से कहा..... जी! मामाजी! बस!चूडियाँ पहननी बाकी़ रह गई हैं,मामी जी सार...

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एक रिश्ता ऐसा भी - (अंतिम भाग) By Ashish Dalal

एक रिश्ता ऐसा भी (अंतिम भाग) उत्तरा के बारें में जानकर मयंक और भी व्यथित हो गया । अपने जिस अतीत को पीछे छोड़ अपने जीने की एक अलग ही वजह बना ली थी आज वही अतीत उसके वर्तमान के सामने...

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जिल्लत़.... By Saroj Verma

उपासना.... ओ उपासना.... कहां मर गई? कहा था ना कि पूजा की थाली और लोटा मांजकर रखना लेकिन मैं नहाकर आ भी गई और तूने मेरा काम नहीं किया.... हां... हां..सास का कहा सुन लेगी तो पाप में...

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अभिव्यक्ति - दहलीज के पार By Yatendra Tomar

एक आम भारतीय गृहिणी की तरह रजनी भी अपने घर को पूरी जिम्मेदारी के साथ संभालतीं है हर दिन सुबह सूरज से पहले उठ कर देर रात तक घर के कामों की आपाधापी सी मची रहती है रात होते होते शरीर...

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दुल्हन.... By Saroj Verma

रिमझिम के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे,वो बस में बैठी यही सोच रही थी कि काश आज उसके पास पंख होते तो वो उड़कर अपने ननिहाल पहुंच जाती,सूजी हुई आंखें और बोझिल मन से वो इन्तज़ार कर...

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यह मेरा हक़ है By Kishanlal Sharma

"भाभी ----इरफान हांफता हुआ दौड़ा दौड़ा आया था,"अनवर ज़िंदा है।""कौन अनवर?""अनवर को नही जानती।भूल गई।तुम्हारा पहला शौहर।""भाभी से मजाक कर रहे हो।"सलमा जानती थी उसका देवर इरफान मजाकिया...

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आभा.…...( जीवन की अग्निपरीक्षा ) - 9 By ARUANDHATEE GARG मीठी

स्तुति के आसूं भरे चेहरे पर, सुनीता जी अपने आसुओं से भरी आंखों में प्यार भरकर , उसे प्यार से देखती है और फिर उसे गले से लगा लेती है , और स्तुति ने जो अब तक का धीरज धरा हुआ था , वह...

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आखिर क्यों ? By Sunita Agarwal

पंद्रह लोगों का भरा पूरा परिवार था, जिस घर में सीमा ब्याहकर आई थी।सुबह पांच बजे से चूल्हा जलता तो दिन के दो बजे तक जलता ही रहता और फिर चार बजे से शाम के खाने की तैयारी शुरू हो जाती...

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मुक्ति By Rohit Kishore

भाग 1.) सुहाना सफर दिल्ली की सर्दियों की सुहानी सुबह की बात ही कुछ और है,आपको लेकर चलते है एक मल्टी नेशनल कंपनी Comsoft प्राइवेट लिमिटेड में जिसके CEO है युवा नवजवान “आदित्य महरा ”...

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नारी सशक्तिकरण By Pinku Juni

मेरे कहने से कुछ बदल जाता तो मैं सब कुछ सबसे पहले कहती की, नारी अब वो नहीं रही की जो सब सह लेती थी बिना कुछ कहे। आज नारी की स्थिति पिछली शताब्दी से आज बहुत उच्च है आज वह छोटे से घ...

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लड़की का हक़ By Neelima Sharrma Nivia

क्या कहूँ ?अब तो थक गयी हूँ मैं . जिस घर से ब्याही जाती हैं ना लड़कियाँ वहाँ से डोली उठते ही घर पराया हो जाता हैं । जिस घर पहुँचती हैं डोली वहाँ जाते ही कह दिया जाता हैं अपन...

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आन्या का ससुराल - 4 By Riya Jaiswal

आन्या मांजी के साथ बेटी लेकर हॉस्पिटल से घर आई। उसे और उसकी बच्ची को नहलाकर उनके रहने के लिए अलग कमरे में व्यवस्था कराया गया। डिलीवरी का पहला दिन था मगर मांजी के चेहरे पर आन्या के...

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हौसला By Neelima Kumar

इतिहास में गुज़रे कुछ पल ऐसे होते हैं जिन्हें बिना किसी वज़ह के आप कभी साझा नहीं करना चाहते और मेरे इन पलों को वज़ह दी थी एक प्रतियोगिता ने। इस प्रतियोगिता में एक ऐसे नारी किर...

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नई सुबह By Sunita Agarwal

आज रोहन और उनकी पत्नी रागिनी सुबह से ही बहुत उत्साहित थे।हो भी क्यों न आज पूरे 12 बर्ष बाद उनका पोता रितिक जो घर आने वाला था।रागिनी सुबह से ही रसोईघर में तरह तरह के व्यंजन बनाने मे...

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आराधना... By निशा शर्मा

माँ बुआ आ गईं ! अरे आज तो बिटिया बहुत सयानी लग रही है । हाँ दीदी बिटिया को सयानी होते हुए समय थोड़े ही लगता है ! अरे ! आराधना तुम तो बात-बात पर सीरियस हो जाती हो बस तुम्हारी यही बा...

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