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कोन कहता है कि खून के रिश्ते ही अपने कहलाते है, जिन्होंने ये कहा है कि अपने अपने होते है और पराये पराये वो गलत हैं।असल में जो रिश्तों को निभाते है वही अपने होते हैं भले कि कोई पराया क्यों न हो। क्यों कि मैने हमेशा अपनो को पराया और परायों को अपना होते हुए देखा है। रिश्ते बोलने से नहीं निभाने से निभते है।
लोगों को दुखी करके खुश हुए तो क्या हुए; लोगों को दुखी करके खुश हुए तो क्या हुए; जनाब एक बार जरा उन्हें खुशी देके तो देखिये; जो सुख औरों को खुश करने मे हैं वो कहीं और कहाँ।
बाते सुनाने वाला अक्सर बोलकर भूल जाता है कि उसने किसी का दिल भी दुखाया है, याद तो सुनने वाले को होता है जिसकी दिल की गहराईयों को वो बात छू चुकी होती है, जिस गहराई को आज तक कोई नाप नही पाया।
आज के जमाने के भी क्या कहने; बुरे काम उजागर किये जाते है और; भले काम छिपाकर किये जाते हैं; इसे कलयुग कहना गलत नही होगा।
"सुशांत सिंह को समर्पित " मुझे कुछ बनना है , ये मेरा है फैसला, मुझे कुछ बनना है , ये मेरा है फैसला, बस अब देखना है की , मुझमे कितना है हौसला, तूने ये ही ठाना होगा, दिखा दिया था हौसला तूने, छु लिया था आसमान तूने, फिर क्यू तू पीछे हट गया , थोड़ी हिम्मत तो की होती , थोड़ा लड़ा तो होता, क्या पता आज हार सामने थी , कल तू ही जीता होता, माना समझा न पाया तू दुनिया को , पर खुद को तो समझाया होता, मान ही ली है तू ने हार अब तो क्या कहा जाए, बस एक बार सिर्फ एक बार , अपने पिता का तो सोचा होता, तूने खोई है ज़िन्दगी सिर्फ एक पल मे , वो मर रहा है यहाँ पलपल मे, तुझे क्या लगा चला गया तू दुनिया से, पर अब भी तू ज़िंदा है हर एक इंसान मे। # पियू पूजा
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