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शुभ सोमवार शिव महादेव महाकाल आपको नमस्कार है ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों का आज का दिन 11-01-2021कैसा रहेगा ब्रह्मदत्त हापुड़, उत्तर प्रदेश 8°c RealFeel Shade 5° अधिकतम UV अनुक्रमणिका 1 निम्न हवा प.उ.प. 12 कि०मी०/घं० हवा के झोंके 17 कि०मी०/घं० आर्द्रता 83% ओसांक 5°C दबाव 11016 mbar बादल 31% दृश्यता 16 कि०मी० Cloud Ceiling 9100 मी दिन 21°अधि RealFeel® 21° रात 7°न RealFeel® 5°
श्री गणेश माता लक्ष्मी श्री बजरंगबली हनुमान जी एवं शनि देव महाराज जी शुभ दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं आपके सभी भक्तों को ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं समस्त मित्र दो साथियों की तरफ से दीपावली का यह पावन पर्व सभी के लिए शुभ एवं मंगलमय रहे श्री गणेश माता लक्ष्मी बजरंगबली हनुमान जी शनि देव महाराज से बार-बार प्रार्थना एवं कामना है
माता लक्ष्मी श्री गणेश आपको बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार है ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों का शुभ दीपावली आपको एवं आपके समस्त परिजनों को शुभ हो मंगलमय हो शुभ रात्रि दीपावली ब्रह्मदत्त त्यागी
एक ही बाण से भगवान शिव ने नष्ट कर दिए थे तीन नगर🖋️ आज शिव महादेव महाकाल भोलेनाथ शंकर शंभू का शुभ दिन सोमवार है दिन की स्तुति करें ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों के साथ हर हर महादेव जय महाकाल भोलेनाथ शंकर शंभू सभी अपने भक्तों पर दया दृष्टि अपनाएं एवं उनका कल्याण करें उद्धार करें, त्रिपुर राक्षसों की कार्तिक मास की पूर्णिमा है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली के त्रिपुरों का नाश किया था। त्रिपुरों का नाश करने के कारण ही भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी प्रसिद्ध है। भगवान शिव ने कैसे किया त्रिपुरों का नाश, ये पूरी कथा इस प्रकार है- ब्रह्माजी ने दिया था ये अनोखा वरदान शिवपुराण के अनुसार, दैत्य तारकासुर के तीन पुत्र थे- तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली। जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके पुत्रों को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने देवताओं से बदला लेने के लिए घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया। जब ब्रह्माजी प्रकट हुए तो उन्होंने अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने के लिए कहा। तब उन तीनों ने ब्रह्माजी से कहा कि- आप हमारे लिए तीन नगरों का निर्माण करवाईए। हम इन नगरों में बैठकर सारी पृथ्वी पर आकाश मार्ग से घूमते रहें। एक हजार साल बाद हम एक जगह मिलें। उस समय जब हमारे तीनों पुर (नगर) मिलकर एक हो जाएं, तो जो देवता उन्हें एक ही बाण से नष्ट कर सके, वही हमारी मृत्यु का कारण हो। ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया। मयदानव ने किया था त्रिपुरों का निर्माण ब्रह्माजी का वरदान पाकर तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली बहुत प्रसन्न हुए। ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया। उनमें से एक सोने का, एक चांदी का व एक लोहे का था। सोने का नगर तारकाक्ष का था, चांदी का कमलाक्ष का व लोहे का विद्युन्माली का। अपने पराक्रम से इन तीनों ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। इन दैत्यों से घबराकर इंद्र आदि सभी देवता भगवान शंकर की शरण में गए। देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए तैयार हो गए। विश्वकर्मा ने भगवान शिव के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया। ऐसे हुआ त्रिपुरों का नाश चंद्रमा व सूर्य उसके पहिए बने, इंद्र, वरुण, यम और कुबेर आदि लोकपाल उस रथ के घोड़े बने। हिमालय धनुष बने और शेषनाग उसकी प्रत्यंचा। स्वयं भगवान विष्णु बाण तथा अग्निदेव उसकी नोक बने। उस दिव्य रथ पर सवार होकर जब भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए चले तो दैत्यों में हाहाकर मच गया। दैत्यों व देवताओं में भयंकर युद्ध छिड़ गया। जैसे ही त्रिपुर एक सीध में आए, भगवान शिव ने दिव्य बाण चलाकर उनका नाश कर दिया। त्रिपुरों का नाश होते ही सभी देवता भगवान शिव की जय-जयकार करने लगे। त्रिपुरों का अंत करने के लिए ही भगवान शिव को त्रिपुरारी भी कहते हैं। प्रस्तुतीकरण =ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
शुभ शुक्रवार माताओं का आशीर्वाद प्राप्त करें ब्रह्मदत शुभ शुक्रवार माता दुर्गा माता लक्ष्मी माता सरस्वती आपको प्रणाम नमन नमस्कार है ब्रह्मदत्त त्यागी ॐ ॐ ॐ शुभ शुक्रवार प्रातः काल एवं संध्या नमन माता दुर्गा माता लक्ष्मी माता सरस्वती नमस्कार है ब्रह्मदत्त त्यागी 06--11--2020/DATE date of 6 November 2020 BrhamduttaTyagiHapur
Shree Ram ram jay Shree ram MANGALWAR SUBH MANGALWAR RAM Mangalwar BrhamduttaTyagi Hapur MANGLWAR SUBHI SUBH MANGALWAR सभी हनुमान भक्तों को ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ का "जय श्री राम" "जय श्री राम जय बजरंगबली हनुमान" हनुमान जी की
SHIV MAHADAV MATA PARWATI SHREE GANESA BRHAMDUTTATYAGIHAPUR शिव महादेव माता पार्वती श्री गणेशा। बहादत्त त्यागी शिव दुर्गा गणेश शुभ रात्रि शुभ रात्रि शुभ रात्रि वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ! निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्तकार्येषु सर्वदा!! ब्रह्मदत
शुभ संध्या समय शुभ रात्रि काल जय माता कालरात्रि ब्रह्मदत्त सातवाँ नवरात्रा माँ कालरात्रि सातवाँ नवरात्रा - माँ कालरात्रि सातवाँ नवरात्रा - माँ कालरात्रि सातवाँ नवरात्रा - माँ कालरात्रि सातवाँ नवरात्रा - माँ कालरात्रि माता के भक्तों आज माता दुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि के रूप में नवरात्रों में स्थापित है आज माता कालरात्रि की पूजा एवं रचना है आओ जानते हैं मां कालरात्रि पूजा विधि संस्कारित तरीके से नवरात्र सातवां दिन मां कालरात्रि संध्या प्रणाम नमन नमस्कार है आपको ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ एवं सभी भक्तों का पूजा विधि माँ कालरात्रि नवरात्रों में सप्तमी तिथि का ख़ास महत्व होता है. इस दिन की भी अन्य दिनों की तरह ही होती है नवरात्री के सातवे दिन माँ कालरात्रि की पूजा से पूर्व पहले कलश और अन्य देवी-देवता की पूजा करें. इसके बाद माता कालरात्रि जी की पूजा करे. पूजा से पूर्व हाथों में फूल लेकर देवी माँ के सामने नतमस्तक होकर मंत्र का ध्यान करना चाहिए. कहते है की इस दिन से भक्तो के लिए माँ के द्वार खुल जाते है और भक्तजन पूजा स्थलों पर माँ के दर्शनों के लिए जुटने लगते है नवरात्री के सातवें दिन रात्रि पूजा का भी विशेष महत्व होता है. ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
हैप्पी नवरात्रि हैप्पी नवरात्रि BRHAMDUTTA TYAGI HAPUR SUBH NAVRATRE JAY MATA नवरात्र तीसरा दिन पूजा विधि माँ चंद्रघंटा नवरात्री के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा के लिए सर्वप्रथम माता की चौकी पर माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें। गंगा जल से इसे शुद्ध करे. इसके बाद चौकी पर एक कलश में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। पूजा का संकल्प लेकर सभी देवी-देवताओं का आवाहन करे, सभी प्रकार की पूजन सामग्री जैसे- वस्त्र, सुहाग पिटारी, चंदन, रोली, अक्षत, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, फूल, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, दक्षिणा, अर्पित कर पूजा करे. पूजा संपन्न करने के बाद प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करनी चाहिए. ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़
माता ब्रह्मचारिणी आपको मां दुर्गा के दूसरे रूप में बारंबार प्रणाम नमन नमस्कार है आज आपका शुभ नवरात्रा है ब्रह्मदत्त त्यागी नवरात्र दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी Happy Navratri! ! Happy. Navratri! मंत्र...।। 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः। स्तुति....।। तपो आचरण, कमण्डलु धारण सराहना देवता, ऋषि सिद्धगण दुर्गा द्वितीय रूप ब्रह्मचारण ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा नमो नमः!! ध्यान...।। वन्दे वांच्छितलाभायचन्द्रर्घकृतशेखराम्। जपमालाकमण्डलुधराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥ गौरवर्णास्वाधिष्ठानास्थितांद्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।धवल परिधानांब्रह्मरूपांपुष्पालंकारभूषिताम्॥ पद्मवंदनापल्लवाराधराकातंकगीलांपीन पयोधराम्। कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीनिम्न नाभि नितम्बनीम्॥ ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़ ब्रह्मचारिणी माता पार्वती दुर्गा का दूसरा रूप माता ब्रह्मचारिणी के रूप में ब्रह्मदत्त
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