The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
4
3.9k
21.3k
Hey, I am on Matrubharti!
हास्य व्यंग्य कविता :- भ्रष्ट शिशु ------------------------ होली में जनमा, एक नेता का बेटा मुसीबत बन गया, चैन से नहीं लेटा ! पैदा होते ही वह कमाल कर गया उठा, बैठा और नेता जी की कुर्सी पर चढ़ गया ! यह देखकर डॉक्टर घबरा गई बोली - ये तो अजूबा है, साईंस भी इसके सामने झूठा है । इसे पकड़ो और लिटाओ, दुधमुंहा शिशु है, मॉं का दूध पिलाओ । दूध के नाम पर शिशु ने फुर्ती दिखाई पास खड़ी नर्स की पकड़ी कलाई, बोला - आज होली है, ये कब काम आएगी काजू-बादाम की भंग अपने हाथों से पिलाएगी । नेता जी के समझाने पर भी वह नहीं माना, चींख-चींखकर अस्पताल सिर पर उठाया और गाने लगा, शीला का गाना । उसके बचपने में शीला की जवानी छा गई, मुन्नी बदनाम न हो इसलिए नर्स भंग की रिश्वत लेकर आ गई । बेटे को भंग पीता देख नेता जी घबरा गए, बोले - तुम कौन हो और क्यों कर रहे हो अत्याचार ? शिशु बोला - तुम्हारी ही औलाद हूं नाम है भ्रष्टाचार.... । @ राकेश सोहम्
अब किस बात की दूं दुहाई और तुम्हें मना लूं भटका हुआ हूं मैं खुद पहले खुद को पा लूं। @ राकेश सोहम् #भटकना
अब चुंबन से डर नहीं लगता साहब, कोरोनावायरस से लगता है @ एक चुंबन दबंगई #चुंबन
उन्होंने आजादी का जश्न कुछ यों मनाया, घर के सारे काम और खाना पति से बनवाया ! @ राकेश सोहम् #Freedom
मेरी एक ख़ूबसूरत कविता। @ राकेश सोहम्
कविता : राकेश सोहम् भरोसा --------- कलम का कविता पर और कविता का भरोसे पर अटक जाना, समय की विडंबना है ! कलम कातिल है और कसाई भी ? अब कलम की ताकत संदेहास्पद हो गई है ! # राकेश सोहम्
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
Copyright © 2023, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser