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बलवान के लिए समय नहीं बल्कि समझ बलशाली होती है -VIKAS BHANTI
विश्वास करो प्रेम है -VIKAS BHANTI
हाय दोस्तों, आज शाम ठीक साथ बजे रेडी रहिएगा, मल्लयुद्ध के प्रथम एपिसोड में मेरे प्रतिद्वंदी होंगे 'द चिर्कुट्स जैसी बेस्टसेलर पुस्तक के लेखक "आलोक कुमार" कौन किसको पटखनी देगा, देखिये 8 अगस्त शाम 7 बजे अगर आपने अभी तक मेरा पेज फॉलो नहीं किया है तो https://www.facebook.com/authorvikasbhanti/ पर क्लिक कर के लाइक का बटन दबाईएगा और शाम को 7 बजे आपको खुद ही नोटिफिकेशन आ जायेगा
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बूला बकलोल: लॉक डाउन "बूला जी, सुने हैं लॉक डाउन तोड़े थे आज आप? मैने लिलियाते स्वर में बूला जी के सामने सवाल फेंका । "अबे मूड भनभनाया है, दिमाग का हल उतार कर खूंटी पर टांग देओ ।" बूला जी चिरियाए । "क्या हुआ बूला जी, वैसे आज न चाय मांगे, न बिस्किट, न पानी ।" मैंने चिरौरी की । "अबे ज़हर दे देओ, खाकर अबहिं यहीं मजार बनवा लेंगे, मज़ार की मजार और घर हमारे कब्जे में ...." बूला जी कुछ कुछ फॉर्म में आते लग रहे थे । "वैसे बूला जी, बता काहे नहीं रहे कि लॉक डाउन में क्या हुआ?" मैने रवीश कुमार की तरह दनदनाता सवाल उठाया । पर डर भी लग रहा था कहीं बूला जी हमें देश द्रोही न करार दे दें । पर बूला जी बिना कुछ बोले गुस्से में सोफे से खड़े हो गए । पर हम भी बिना बकलोली सुने उनको जाने कहाँ देने वाले थे, तो कमर से पकड़ कर उनको बैठा दिया । बूला जी चीख पड़े । "क्या हुआ?" मैं भी उसी इंटेंसिटी से चीखा । "कुछ नहीं" बूला जी संभलते हुए बोले । "ओहो तो डंडे खाकर आये हो !" मैंने सहलाती आवाज़ में बोला । बूला जी ने सर झुका कर गर्दन हां में हिला दी । "कितने.......?" मेरी उंगलियां भी सवाल के साथ राइम कर रहीं थीं । "तीन........" बूला जी ने फरमाया । "तीन! बस फिर तो बचे ही समझो, नहीं तो वो यादव जी का लौंडा, 12 खा के आया था ।" मैंने उनको सांत्वना देने के लिहाज से बोला । "हां, वो एक डंडा उठाये, जो मारना शुरू किए तो 45 के बाद टूट गया....... " बूला जी इतना ही बोल सके थे कि हमारी हँसी छूट गयी । मैं जैसे ही लोट पोट होते हुए ज़मीन पर गिरा, बूला जी नाराज़ होकर उठ कर निकल लिए । दो घंटे हो चुके हैं और मेरी हँसी है कि थमने का नाम न ले रही । #VikasBhanti #हास्यकर
हेलो दोस्तों, कल फेसबुक पर लाइव आ रहा हूं, मिलिएगा ज़रूर । पता: www.facebook.com/authorvikasbhanti समय: 11:00 am
क्या चाहे तू मुझसे, मेरे हाथ हमेशा खाली हैं कलाकार जब रोता ज़ोरों बजती तभी तो ताली है उन ताली के शोरों में तू, जी भर सिसकी बह लेना ए मगन ज़िन्दगी गम ले लूँ मैं खुशियां तू सह लेना #कला
ईश्वर सबके निकट है पर हर कोई ईश्वर के निकट नहीं । जो भी ईश्वर की निकटता को प्राप्त कर लेता है, उसका कभी नाश नहीं होता ।
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